Tribute to martyrs from BIKRU kaand
"हो शहीद जवान फर्ज़ पे या होवे माटी पे, फौलादी है सारे गोली कहते जो छाती पे ....आँच न आने देते जो हैं जान जीवन के रखवाले, शहादत को नमन मेरा धन्य है वो वतन पे मर मिटने वाले उनके त्याग तप को चंद सुर्खियों में पढ़के भूल जाना बहुत आसान है, दुःख है तो प्रण लो मिटा देंगे इस धरती से पाप और तभी दम लेकर कहेंगे हिंदी है हम, हम 'हिंदुस्तान' है !!!!!!
मुझे समझ नहीं आता आखिर मैं किस देश का हिस्सा हूँ ??एक ओर जहाँ का प्रधानमंत्री विरोधी देश की ईंट से ईंट बजाने सीमा पर जाता है वही दसूरी ओर हमारी ही मातृभूमि के वीर सपूतों को एक जाने माने हिस्ट्रीशीटर के द्वारा गोलियों से छलनी कर दिया जाता है.... हम पडोसी मुल्क से क्या ख़ाक लड़ पाएंगे जब तक हम इन छुपे भेड़ियों को मार नहीं गिराएंगे.... अपने ही लोगों में छिपे हैं कुछ विभीषण जैसे लोग, जिनकी वजह से प्लान बनते ही दुश्मन को लीक कर दिया जाता है.....वो जान बचाने को जाते लोगों को बाथरूम में एक के ऊपर एक ढेर कर दिया जाता है .....
आँख का पानी मर गया है इन गद्दारों के जो ज़िन्दगियों से खेल रहे हैं, हमारी कौम कैसे अब तक इतनी टोलेराबल है जो हम ये सब झेल रहें है ????क्यों हर बॉर्डर सील होने पर भी दुश्मन फरार है , क्या है उन बेबस सिपाहियों की गलती जिनका पूरा परिवार कर्ज़दार है ????हम एक दो को मार के अपनी शेखी बघारते हैं और वो हथियारे हमारी पूरी बटालियन को इस कदर बेरहमी से मारते हैं .....
खून उबलता है मेरा सुनके मेरा आखिर क्यों वो हथियार पकड़ा नहीं जाता ???६० से ज्यादा आपराधिक मामले हैं फिर भी उसको कोई हथकड़ी नहीं लगाता ???घुसकर मार देता है वो न जाने कितने मासूमों को और ये अँधा कानून बस देखता है , देखकर भी कुछ नहीं कर पाता....क्या बिके हैं लोग यहाँ या खौफ उसका छाया है, इतने सीमा बल होते हुए आज ये भी दिन आया है ....ये समय है एक जुट हो जाने का, दुश्मनों को मार गिराने का....गुंडई को खत्म करके 'एकता' और 'अखंडता' के दीप जलाने का ....."
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